==* अभी बाकी है *==

Started by SHASHIKANT SHANDILE, February 06, 2016, 05:24:54 PM

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SHASHIKANT SHANDILE

क्या हुवा गर टूट गया बिखरना तेरा बाकी है
थोड़ा तू डाली से दूर भला खुशबु तेरी बाकी है

महकने दे औरोको तेर नाम से चोट खानी है
थक जाये गर अभी से ऐसे जिंदगानी बाकी है

दो अनजान लोगो को तेरी चमक मिलायेगी
तेरी मदत से अभी और दिल धड़कने बाकी है 

तू न छोड़ फर्ज ऐसे तेरे लिख्खे तक़दीर का
देख मेरे दोस्त तेरा अभी मुरझाना बाकी है

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✒ शशिकांत शांडिले, नागपूर
भ्रमणध्वनी - ९९७५९९५४५०
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