कर्म वाले मर रहे

Started by ajeetsrivastav, February 07, 2016, 12:36:32 PM

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ajeetsrivastav

चलती रही ये आधिया
उड़ते सदा छप्पर रहे
भाग्य महलो मे रहा
और कर्म वाले मर रहे
ये मेघ की काली घटा
भवनो से जैसे डर रहे
धो रहे है मैल को
दीवार और जो दर रहे
पर ये भी तो उस नीड़ पर
दामिनि के जैसे गिर रहे
एक छोटे से विहग पर
कोप जैसे कर रहे
तोड़ देंगे उसको ये
कल तक जो खग के घर रहे
कर्मठ है वो छोटे सही
पर भाग्य से दुर्धर रहे
मेहनत से था जो घर बना
नष्ट उनको कर रहे
भाग्य का ही खेल है
जो आज वे नभ तर रहे
भाग्य महलो मे रहा
और कर्म वाले मर रहे //
वो चैन से है रह रहे
जो कर्म से अन्जान है
किन्तु उनके नाम का
जग मे बहुत सम्मान है
प्रहरी लगे प्रासाद पर
दिन रात रक्षा कर रहे
काम अौर सेवा सभी
सेवक सदा है कर रहे
ये भाग्य का ही खेल है
हुक्मो पे उनके मर रहे
क्या त्रास है वर्चस्व का
लाचार उनसे डर रहे
भाग्य महलो मे रहा
और कर्म वाले मर रहे //
भाग्य उनका है कि वो
वारिस है इस प्रासाद के
इस लिये वो है हकी
समृधि सुख आह्लाद के
कर्म निर्मित भाग्य है
ये बात है अपवाद के
वे खड़े है आज उपर
भाग्य की बुनियाद के
कर्म बस ईतना किया
कि भूप के औलाद है
ईस लिये इस धरा पर
अधिकार और प्रासाद है
बुद्धि वाले कर्म वाले
चाकरी है कर रहे
भाग्य महलो मे रहा
और कर्म वाले मर रहे //