एक समकालीन गीत

Started by shardul, February 08, 2016, 11:40:59 PM

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shardul


एक समकालीन गीत
मैली थैली खोल दिखाई
कुर्ता मैला झाड़
राई को पर्वत करे
तिल को ऊँचा ताड़
चलो तमाशा देखें भाई
बाजीगर है नया नया|
पस्त पड़ी हैं दसो दिशाएँ
लगी बिल्लियाँ रोने
धाड़ मार चीलें चिल्लाईं
होंगे जादू टोने
बूढ़ा हुआ जमूड़ा नंगा
खोई शरम हया|
छड़ी घुमाई जाकिट खोली
निकल पड़े सौ मुर्गे
आपस में भीड़ गए बिचारे
देख रहे हैं गुर्गे
आग लगाने दौड़ा बचुआ
काशी बौद्ध गया|
हाथ घुमाया टेढ़ा- सीधा
नगर बने स्मार्ट
भरी भीड़ में खड़े हो गए
बड़े- बड़े सम्राट
समझौतों की झड़ी लग गई
पार देश सन्देश गया |
छूमंतर का खेल निराला
उगी हाथ पर सरसों
पगड़ी फाड़ गाय दुखियाई
खडी रही प्यासी बरसों
श्यामा बछिया हाय हाय कर
माँगे दया दया |
संटी मारी छापे डाले
पकड़ कालिया नाग
चायपान पर चर्चा जारी
गई लोमड़ी जाग
बावन पत्ते छांटें बाँटे
करते जयति जया|


By @डॉ. मनोहर अभय