==* अभी बाकी है *==

Started by SHASHIKANT SHANDILE, February 10, 2016, 04:41:49 PM

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SHASHIKANT SHANDILE

क्या हुवा गर टूट गया बिखरना तेरा बाकी है
डालीसे थोडा दूर भले खुशबु अभी बाकी है

महकने दे औरोको तेरे नामसे चोटही खानी है
थक जाये गर अभीसे ऐसे जिंदगानी बाकी है

दो अनजान लोगोको तेरी चमक मिलायेगी
मदतसे तेरी पगले दिल और धड़कने बाकी है

छोड़ न फर्ज तू ऐसे लिख्खे तेरे इस तक़दीर का
देख मेरे दोस्त तेरा मुरझाना अभीभी बाकी है
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✒ शशिकांत शांडिले, नागपूर
भ्रमणध्वनी - ९९७५९९५४५०
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