प्रियवर तेरी सुंदरता

Started by dhanaji, February 11, 2016, 10:51:21 PM

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dhanaji


प्रियवर तेरी सुंदरता पर मदिर शब्द छलकाऊ कैसे,
तेरे नयनो की पलको पर सुंदर स्वप्न सजाऊ कैसे,
सोच ना पाऊ कैसे मेरी उलझन इतनी बडी हो गई,
विरह-विदा की घडी हो गई,
विरह-विदा की घडी हो गई.
तेरे अधरो की लाली पर सुमन ने अपना रंग खो दिया,
तेरी खिलती मुस्कानो पर कमल मे जैसे भृंग खो गया,
वचन अधुरा, मिलन अधुरा, यादे सब सुरमयी हो गई,
विरह-विदा की घडी हो गई.
विरह-विदा की घडी हो गई.
मेघांबर से केश तुम्हारे, सुरभित नूतन वेश तुम्हारे,
राजहंसिनी की शीतलता, मादकतम अवशेष तुम्हारे,
तुमको पाने की विह्वलता, मेरे उर की ध्वनि हो गई,
विरह-विदा की घडी हो गई.
विरह-विदा की घडी हो गई.
- अमित तिवारी