दोस्त क्या कहु ?

Started by dhanaji, February 11, 2016, 10:52:15 PM

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dhanaji


दोस्त क्या कहु ?
जीवन में तुम्हारा क्या स्थान है?
तुमसे ही दिल धड़कता है,
लहू रगों मे बहता है,
साँसे चलती है,
तुमसे ही जान है ॥
दोस्त क्या कहु ?
जीवन में तुम्हारा क्या स्थान है?
दोस्त तुम मेरे कंचो का डिब्बा हो,
घूमता लट्टु हो,कागज की नाँव हो,
तुम कबड्डी हो, गिल्ली डंडा हो,
कच्ची अँबिया हो, पीपल की छाँव हो,
तुम ही सिंगाडे, कमलगट्टे से भरा तलाब हो,
तुम ही भुलाया ना जा सके वो गाँव हो,
हाँ दोस्त तुम ही मेरा बचपन हो,
तुम से ही यादों का जहान है ॥
दोस्त क्या कहु ?
जीवन में तुम्हारा क्या स्थान है?
तुमसे ही दिल धड़कता है,
लहू रगों मे बहता है,
साँसे चलती है,
तुमसे ही जान है ॥
दोस्त तुम ही मेरा मंदीर, मेरा शिवाला हो,
पूजा की थाली हो, दीपक हो, माला हो,
तुम से ही महफिलों में रौनक आती है,
तुम ही पाक गंगाजल, तुम ही हाला हो,
दोस्त तुम शेर, शायरी हो, प्यारा नग्मा हो,
तुम गज़ल मदभरी, मादक सी मधुबाला हो,
हाँ दोस्त तुम्हारी आरजु है,
दिल पर तुम्हार एहसान है ॥
दोस्त क्या कहु ?
जीवन में तुम्हारा क्या स्थान है?
तुमसे ही दिल धड़कता है,
लहू रगों मे बहता है,
साँसे चलती है,
तुमसे ही जान है ॥
हाँ दोस्त तुम ही मेरा सूरा हो, सिपारा हो,
तुम ही दूरद हो, तिलावत हो, कलमा हो,
तुम ही मेरा ख्वाब हो, मकसद हो, जुस्तजु हो,
तुम ही मेरे दिल में छुपे राज हो, अरमाँ हो,
तुम ही जन्नत से उतारी गइ कोई नेमत हो
तुम ही आबे झमझम का पाक झरना हो,
ऐ रब मुझे माफ करना,
तेरी आयतो मे लिखा है,
दोस्ती खुदा का फरमान है ॥
दोस्त क्या कहु ?
जीवन में तुम्हारा क्या स्थान है?
तुमसे ही दिल धड़कता है,
लहू रगों मे बहता है,
साँसे चलती है,
तुमसे ही जान है ॥
अमित तिवारी