तू एक मेहमान है ये पल पल बताता

Started by madhura, February 16, 2016, 10:24:42 AM

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madhura


सिंदूर ,बिछुवे, शहनाई ने नही किया पराया ,
घर जाती हूँ तो मेरा बैग मुझे है चिढ़ाता ,
तू एक मेहमान है अब ,ये पल पल बताता
माँ कहती रहती सामान बैग में फ़ौरन डालो
हर बार तुम्हारा कुछ ना कुछ छुट जाता .....तू एक मेहमान है ये पल पल बताता
घर पंहुचने से पहले ही लौटने की टिकट,
वक़्त किसी परिंदे सा उड़ते जाता ,
उंगलियों पे लेकर जाती गिनती के दिन ,
फिसलते हुए जाने का दिन पास आता ......तू एक मेहमान है ये पल पल बताता
अब कब होगा आना सबका पूछना ,
ये उदास सवाल भीतर तक बिखराता ,
मनुहार से दरवाजे से निकलते तक ,
बैग में कुछ न कुछ भरते जाता ...तू एक मेहमान है ये पल पल बताता
चीनी मत डालना चाय में मेरी ,
पापा का रसोई में आकर बताना ,
सुगर पोजिटिव निकला था न अभी ,
फ़ोन पे तुमको क्या क्या सुनाता ......तू एक मेहमान है ये पल पल बताता
जिस बगीचे की गोरैय्या भी पहचानती थी
अरे वहाँ अमरुद पेड़ पापा ने कब लगाया ??
कमरे की चप्पे चप्पे में बसती थी मैं ,
आज लाइट्स ,फैन के स्विच भूल हाथ डगमगाता ....तू एक मेहमान है ये पल पल बताता
पास पड़ोस जहाँ बच्चा बच्चा था वाकीफ ,
बिटिया कब आई पूछने चला आता ....
कब तक रहोगी पूछ अनजाने में वो
घाव एक और गहरा देता जाता ...तू एक मेहमान है ये पल पल बताता
ट्रेन में तुम्हारे हाथो की बनी रोटियों का
डबडबाई आँखों में आकार डगमगाता ,
लौटते वक़्त वजनी हो गया बैग ,
सीट के नीचे खुद भी उदास हो जाता .....तू एक मेहमान है ये पल पल बताता ..............