हाँ एक बार फिर से

Started by janki.das, February 17, 2016, 11:24:22 AM

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janki.das


हां अब भी छुप छुप कर यूंही देख लेता हू उनको
हां वो आदत नही रही पहले जैसी की दिन रात नीहाराता रहूं
पर अब भी दिल करता है कभी यूँही मिलने का
हां दिल करता है कुछ दूर फिर से साथ चलने का .
मन को बहलाता हू
फुसलाता हू
किस्से कहानिया सुनाता हू
झूठी उमीदें तो नही पर
सच्चाई से रूबरू करवाता हू
हाँ ये सच है की दिल ने अब सवाल करने छोड़ दिए हैं
फ़िजूल के किस्से भी याद करना छोड़ दिए हैं
सच तो ये है की इस दिल को हमसे कोई उम्मीद नही
और हो भी क्यू जब हमें इस जिंदगी से कोई उम्मीद नही.
लेकिन फिर भी
अब भी उनसे मिलने का दिल करता है
जब भी उनकी गलियों से गुज़रता हूँ
एक बार मुड़ के देखने को दिल करता है
हाँ एक बार फिर से ...
-रितेश अम्बष्ठ