साये ही साये ही साये है

Started by dhanaji, February 22, 2016, 12:00:48 PM

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dhanaji




साये ही साये ही साये है
यादे भुलाके जो आये है
साये
साये ही साये ही साये है


तनहाईयों के साये है
बरबादीयों के साये है
जिस्मों की परछाई सी है
परछाईयों के साये है
साये ही साये ही साये है
यादे भुलाके जो आये है


निंद के साये...काले है
ख्वाब में साये पाले है
सायों में भिगा करेंगे हम
साये बरसने वाले है


साये ही साये ही साये है
यादे भुलाके जो आये है




जब नब्ज तो कटे तो साये बहते है
सुखी जख्मों पे साये रहते है
जो इसक से मरके जिंदा रहते है
उन ईन्सानों को साये कहते है


साये ही साये ही साये है
यादे भुलाके जो आये है


जब दुर अंधेरा थकता साये सहलाने लगते है
जब खोमोशी की धुन पिघले साये भी गाने लगते है
सायों की जात नई सी है
फ़िर भी ये पुराने लगते है


साये ही साये ही साये है
यादे भुलाके जो आये है




मकरंद सावंत