* बगावत *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, February 23, 2016, 10:40:07 PM

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कवी-गणेश साळुंखे

काश इन आँखोंके
और तेरे दिलके
हकदार हम होते
तो हम पुरी दुनियासे
बगावत कर जाते.
कवी - गणेश साळुंखे.
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