* हमारा दिल *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, March 17, 2016, 11:56:38 PM

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कवी-गणेश साळुंखे

ओय सुन तु नखरेवाली अमीरजादी
हमारा दिल इतना सस्ता भी नही
के जो तेरे दौलत से खरीदा जाए
प्यारसे कहदे तो हम मुफ्त में ही बिक जाए.
कवी - गणेश साळुंखे.
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