* महबूबा *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, March 19, 2016, 11:02:09 AM

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कवी-गणेश साळुंखे

खुबसूरत ना सही पर दिलवाली हो
यारों महबूबा कैसी हो
छुले गर पत्थर को प्यारसे
तो वो भी धडकनें पर मजबूर हो.
कवी - गणेश साळुंखे.
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