== * तनहा था शशि ............. * ==

Started by SHASHIKANT SHANDILE, April 11, 2016, 05:32:29 PM

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SHASHIKANT SHANDILE

तनहा था शशि चांदनी मिल गई
अँधेरी रात को रोशनी मिल गई
क्या करू गिला मै कुछ भी नही
रूठी थी सड़क मंजिल मिल गई

तनहा था शशि .............

फिर न जाने क्यू बढ गये फासले
देखे जो सपने मैने बिखरणे लगे
क्या हुई खता जो रोशनी रूठ गई
हसरते भी दिलके अब हारणे लगे

तनहा था शशि .............

रूठ गई आरजू खो गया आसमां
जोडे थे रिश्ते कभी अब छुटने लगे
फिर वही दौर लौटा है गुजरा हुवा
पल जो भूल गये थे याद आणे लगे

तनहा था शशि .............
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✍शशिकांत शांडिले, नागपूर 
भ्र. ९९७५९९५४५०
Its Just My Word's

शब्द माझे!