* हाथोंकी लकीरें *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, April 15, 2016, 10:09:33 PM

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कवी-गणेश साळुंखे

खुदा भी क्या जुल्म करता हैं यार
सनम नही मिलता और करवाता है प्यार
कभी नही जुडती हाथोंकी लकीरें
और ज्युदा हो जाता है यार.
कवी - गणेश साळुंखे.
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