भिक मरणाची

Started by shrikant dhote, April 16, 2016, 03:12:58 PM

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shrikant dhote

यमाचिये व्दारी।
माझा शेतकरी ।।
भिक मरणाची।
मागतसे।।धृ।।

राब राब राबे।
रोज तो शेतात।।
काही मिळे नाही।
त्याचे हातात।।१।।

कर्जे काढूनिया।
शेती तो करीतो।।
व्याजात भरीतो।
पिके सारी।।२।।

पिकलं पिकलं।
बक्कळ पिकलं।
भावात विकलं।
भजियाच्या।।३।।

सरकार करे।
पँकेज जाहिर।।
केल पसार या।
दलालांनी।।४।।

एका बंधार्याचे।
तिनवेळा बिल।।
अजुनिया वल।
शेता नाही।।५।।

आला जिवा खेव।
लाथाडतो देव।।
मरणाचे भेव।
विसरलो।।६।।

म्हणुनिया त्याचे।
क्षीण झाले मन।।
यमापुढे मागे ।
तो मरण।।७।।

श्रीकांत धोटे
मु. टाकळी चनाजी पो. वायगाव ( नि.)
ता. देवळी जि. वर्धा
मो. नं. 7875031852
shrikantdhote29@gmail.com
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