मागतो संवाद आता

Started by Ravi kamble, May 26, 2016, 10:32:43 AM

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Ravi kamble

*मागतो संवाद आता*

मागतो संवाद आता
     टाळतो मी वाद आता!

माणसांच्या अंतराला
     घालतो मी साद आता!

मीच घेतो पाय मागे
      होवुनी बर्बाद आता.!

बेसुरील्या जिंदगीचा
     शोधतो मी नाद आता!

मानतो ना धर्म जाती
     राहतो निर्वाद आता.!

पांगलेल्या माणसांना
     जोडतो आल्हाद आता!

रवींद्र कांबळे 9112143360
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