खेळ मनाचा...

Started by Balaji lakhane, June 03, 2016, 03:47:46 PM

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Balaji lakhane

एक मन म्हणतो,
       ति नको आहे मला,,

दुसर मन म्हणतो,
       ति हवी आहे मला,,

कोणत्या मनाचा विचार करायचा,,,

एक मन बोलतो मला,
         तिचा विचार करु नकोस,,

दुसर मन फक्त तिचाच
          विचार करत करतो,,

अस का ? होत..

एक मन ति समोर
        येताच शांत होत,,

दुसर मन ति समोर
        येताच गालावर हास्य आनत,,

अस का ? होत..

एक मन तिला कधीच
           बोलु नकोस म्हणत,,

एक मन फक्त
           तिलाच बोलत असत,,

अस का ? होत..

एक मन ति ऒळख
          नाही अस वाग म्हणत,,

दुसर मन तिचीच
          ऒळख करुन देत असत,,

अस का ? होत ..

कवी बालाजी लखने..
उदगीर जिल्हा लातुर..
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