* कशमकश *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, June 08, 2016, 11:11:06 PM

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कवी-गणेश साळुंखे

ये कैसी कशमकश होती है मेरे साथ
जब भी वो सामने आ जाते हैं
समझ में ही नहीं आता के क्या करूँ
उनको रोकलू या वक्त को रोक दूँ.
कवी - गणेश साळुंखे.
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