कभी मुनाफे में हो बेचैनी, कभी सुकून नुकसान में।

Started by Shraddha R. Chandangir, July 21, 2016, 01:23:21 AM

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Shraddha R. Chandangir

लगता हैं कि बड़े अच्छे ऑफर देती हैं जिंदगी
असल में तो समझौतों के सफर देती हैं जिंदगी।
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जैसे जिस गले में होते थे कभी दोस्तों के हाथ
अब वहाँ बस टाय और काँलर देती हैं जिंदगी।
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इक ख्वाहिश माँ से मिलने की पूरी नहीं हो पातीं
कहने को तो पोझीशन और पाँवर देती हैं जिंदगी।
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यहाँ खुद से वाकिफ होने का नेटवर्क नहीं मिलता
यूँ तो हर जगह तरह तरह के टाँवर देती हैं जिंदगी।
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वो गुल्लक वाले सिक्के तो फिर भी नहीं मिलेंगे
जबकि अब सीधे रुपयों से डाँलर देती हैं जिंदगी।
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कभी मुनाफे में हो बेचैनी, कभी सुकून नुकसान में
बस कुछ ऐसे ही जीने के ऑफर देती हैं जिंदगी।
~ श्रद्धा
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