अध्यात्मकाचे सार, दिनेशनाथजी

Started by Dineshdada, July 23, 2016, 12:06:46 PM

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Dineshdada

||श्री गुरुदेव दत्त||
बिना किताबो के जो ग्यान मिलता है!
उसे दिव्य ग्यान कहते है!
और गुरु मुख से पाये तो उसे
अमृत ग्यान कहते है!
और सद्गुरु मुख से पाये उसे अमरत्व का
ग्यान कहते है!
उसे आत्मसात करे तो हर साधक
भवसागर से पार जा कर परमात्मा में
विलीन हो जाता है!
!!दिनेशनाथजी पलंगे!!
!!आई पंथ!!