रातों को निंदिया आती नहीं

Started by sanket korde, August 04, 2016, 11:40:40 AM

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sanket korde

रातको निंदिया आती नही

मन मे बैठी एक चिडीया
खनकाती हातो की चुडिया
उसका सबकुछ लगता बढीया
ख्वाब उसके सोने देते नही
रातोको निंदिया आती नही

गुण गुणाणे लगा हू गाणा
मेरे दिलने है वो सुना
उसके लिए ही तो मैं गाता हू
आवाज मेरी दिल मे उसके पहुंचाना चाहता हू
उसके बारे मे ही बोलती मुझे मेरी खामोशिया
उसके बातों बिना दिन जाता नहीं
रातोको निंदीया आती नहीं

मन की थकान मिटा देती उसकी एक मुस्कान
उसी मुस्कान के लिए पिछे फिरता हूँ उसके हर दुकान
आवाज उसकी बैठ गई कानोंमे
वही तो मैं सुनता हूँ
सुनते सुनते खुदसे ही मैं बोलता हूँ
कहां से आई है दुरिया
ए दुरिया अच्छी लगती नही
रातोको निंदिया आती नही

कहनी है उसे उसकी सुननी है हर एक बात
हातो मे ले के उसका हात हर जनम निभाना है साथ
हर सुबह देखनी है उसकी  सुरत
जिंदगी है वो मेरी मुझे है उसकी जरूरत
बुढा हो के भी मैं उसे नही कहना बुढीया
ए सपने मुझे सोने देते नहीं
रातों को निंदिया आती नही

संकेत