* हम ही हम *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, September 17, 2016, 11:02:18 PM

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कवी-गणेश साळुंखे

मासूमियत भरी पडी है आँखोंमे
एक नूरसा छाया हुआ है चेहरेमें
गर देख लेगी तु सिर्फ़ हमे एकबार
तो हम ही हम होंगे तेरे खयालों में.
कवी - गणेश साळुंखे.
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