* रावण *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, October 11, 2016, 01:34:58 PM

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कवी-गणेश साळुंखे


पिछले साल जलाया था
इस साल भी जलाओगे
अगले साल भी जलाओगे
फिर भी मुझको तुम मार नहीं पाओगे

क्योंकि में कोई पुतला नहीं
जिसे तुम मिटा पाओगे
में तो बसा हूँ तुम्हारे मनमें
जिसे तुम बदल नहीं पाओगे

तुम राम भी पूजते हो
हनुमान भी पूजते हो
पर मनमें कपट रखकर
तुम मुझेही बुलाते हो

जबतक तुम्हारे अंदर पाप बसा है
ना में मिट सका ना मिट पाऊंगा
चाहे हरबार जलाओ तुम
रावण फिरसे जिंदा हो जाएगा.
कवी - गणेश साळुंखे.
Mob - 7715070938