भक्ती कविता

Started by Prabhakar bhasme, October 11, 2016, 04:19:00 PM

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Prabhakar bhasme

२०१५ मध्ये मराठी साहित्य संमेलन घुमान [पंजाब]
मध्ये झाले नामदेवाचे दर्शन झाले  डोळे भरुन आले
आणि नकळत शब्द जुळत गेले  गुरु ग्रंथ साहिब
मधील ६१ अभंग पद्यामध्ये लिहीले गेले

                अभंग १ ला [स्वरचित पद्यामध्ये]

    नाम घेता विठ्ठलाचे   सार्थक होई जन्माचे
    तुझे नाम थोर          सर्व सुखाचे आगर
    नाम घ्यारे नाम        सर्व सुखाचे तारणहार
    नामाविन नाही थोर   बाकी सर्व असार

     जड शिळा सागरी    तुझ्या नामे तारी
     म्रुग समजुन मारिले   त्याला वैकुंठी नेले
     नामरुपी भक्तिने     विदुर सुदामा वैकुंठी गेले
     नामरुपी जगी जगणे   तोच विठ्ठलरुपी होणे


     स्वरचित काव्य   प्रभाकर भस्मे
                             9757135696