कविता II चंद लब्जो में हंम भी बयाँ कर सकते थे II

Started by siddheshwar vilas patankar, October 13, 2016, 05:40:13 PM

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siddheshwar vilas patankar


चंद लब्जो में हंम भी बयाँ कर सकते थे

पर हमने शायरी का ऐब रखा 

बात भलेही छोटी क्यू ना हो

ऐ गालिब , हमने सीधा रास्ता मोड लिया II

वोह तुफान हि क्या काम का

जिसमे कश्ती ना डुबे

हंम तो यूही बदनाम ठहरे

ये तो आपकी नुमाइश है

जिसने हमें यह नाम दिया II

बडी मुद्दत  से मिला है दोस्त हमें

यारी खूब मनायेंगे

कबुल करना यह तोहफा हमारा

मिलके शायरी लीखेंगे  II

तेरे आने पर सुझे हमें

लब्ज जो बयाण हुए

ए दोस्त जिगर के तुकडे

'तेरी शायरी ने हमारे दिल लूट लिये II 


सिद्धेश्वर विलास पाटणकर C


सिद्धेश्वर विलास पाटणकर C