कविता II दूर सरहद कि वादियोंमे , भटक रहे थे हम II

Started by siddheshwar vilas patankar, October 14, 2016, 11:59:16 AM

Previous topic - Next topic

siddheshwar vilas patankar



दूर सरहद कि वादियोंमे

भटक रहे थे हम

खोज थी ऊस चेहरे कि

जो सदियोंसे हमे बेचैन कर रहा था

बैठे थकान लेके एक पेंड तले

एक करवट ने रुख मोड दिया

शीशेके तुकडे ने माहोल बदल दिया

हमने खुदको देखा और जहां पाया


सिद्धेश्वर विलास पाटणकर C

 
सिद्धेश्वर विलास पाटणकर C