कविता IIतराजू में वह तौलता है , जो खोनेका गम महसूस करता है II

Started by siddheshwar vilas patankar, October 14, 2016, 12:15:44 PM

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siddheshwar vilas patankar



तराजू में  वह तौलता है

जो खोनेका गम महसूस करता है

हम नायाब है पैदाईशी , बाखुदा

कोई काटा हमें तौल ना पाया

बैठे एक पलडे में तौलने खुदको

माशाल्हा दुसरे पलडे में जहाँ को पाया


सिद्धेश्वर विलास पाटणकर C
सिद्धेश्वर विलास पाटणकर C