कविता II हमारी गिरेबान तक पहुच मत , आस्मान कम पडेगा II

Started by siddheshwar vilas patankar, October 14, 2016, 01:34:31 PM

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siddheshwar vilas patankar


हमारी गिरेबान तक पहुच मत

आस्मान कम पडेगा

पैर के नाखुन को देख के दिखा

देखने के लायक नही रहेगा

वह चीझ बनी नही अबतक

जो गिरेबान को छू सके   

सर से लेके पाव तक लोहा है जुडा

सिर्फ और सिर्फ इन्सानियतहि उसे पिघला सके


सिद्धेश्वर विलास पाटणकर C
सिद्धेश्वर विलास पाटणकर C