* ए हवा *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, October 31, 2016, 10:36:32 PM

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कवी-गणेश साळुंखे

ए हवा तु ज्यादा शोर ना कर
बहना ही है तो जा जरा धीमे बहकर
सोया है बडे सुकून से महबूब मेरा
तु उसकी नींद खराब ना कर.
कवी - गणेश साळुंखे.
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