सुधर तो हम भी सकते थे

Started by अमोलभाऊ शिंदे पाटील, November 07, 2016, 05:48:41 PM

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सुधर तो हम भी सकते थे हमें बिगाड ने का जरीया बस तुम बन गयी ......✍🏻(अमोलभाऊ शिंदे पाटील).अहमदनगर.मो.9637040900