* चिल्लर *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, November 08, 2016, 10:34:49 PM

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कवी-गणेश साळुंखे

अपनी दौलत और शोहरत
पर इतराने वालों अमीरों
अब बताओ क्या औकात है तुम्हारी
तुम्हारे पाँचसो हजारों पर भी
भारी पडेगी आज चिल्लर हमारी.
कवी - गणेश साळुंखे.
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