वापसी की राह से

Started by शिवाजी सांगळे, December 06, 2016, 10:04:09 AM

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शिवाजी सांगळे

वापसी की राह से

वापसी की राह से, बहुत कुछ सीख आया
प्रेम ओर ममत्व, पराये लोगों में ढुंढ पाया ।

दांव बेईमानी के, रिश्तों के खुन में घुले हुये
सगे संबधीयो के, असली चेहरें देख आया ।

शेखी़याँ सुखोंकी, कितनी जो सुनी हुयी थी
समारोह दु:खो के, स्वयं अनुभव कर आया ।

बिछाता है कोई, जाल मृत्यु के रोज यहां
अविनाशी नही, मृत्यु को भुलावा दे आया ।

© शिवाजी सांगळे 🎭
©शिवाजी सांगळे 🦋papillon
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