उलझे - उलझे नैना !

Started by Kumar Sanjay, January 05, 2017, 08:50:04 PM

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Kumar Sanjay

प्रीत की डोरी से
उलझे उलझे नैना
खिंचे खिंचे रहते
तेरी तेरी ओैर

करता हुंं अक्सर
तेरी तेरी बाते
अधरो से लपटे
मन - मन के धागे

मेघ से चुन चुन के
मोतियोसे चमके
रुप यु अल्हड
चांद सा लागे 

जीता हुं हर पल
तेरी तेरी सांसे
तुझसे ही सुलझे
उलझे उलझे नैना


                 कुमार संजय
                 7709826774


मिलिंद कुंभारे