'गझल'......

Started by suraj-123, April 03, 2017, 02:38:03 PM

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suraj-123



    'गझल'....
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साेडुन  दुर गेली तु....मजं प्रेम वेड्या..सख्याला.
समजावु कसा...मी या वेड्या.. मनाला..!!२!!

जीव अडकुणी .. आेढ लावलीस...तु..
वाट ताेडलीस तु..वेदना देऊनी ..काळजास...!!१!!

समजावु कसा.. मी या वेड्या ..मनाला...
साेडुनी गेली तु.... मजं प्रेम वेड्या..जिवाला..!!१!!

सुन्न झाल्या. ... परी.. माझीया भावना...!!२!!
साेसळ्या तरी...मी...दुराव्याच्या यातना...!!२!!

समजावु कसा ...मी या वेड्या ..मनाला...
साेडुनी गेली तु...मजं प्रेम ..वेड्या..जिवाला...!!१!!

दुर सावलीही  तुझी..मजं साेडुनी गेली..!!२!!
ठेवुन गेलीस तु .. ह्दयात...आशेच्या झळा...!!२!!

समजावु कसा.. मी या वेड्या..मनाला..
साेडुनी गेली तु..मजं प्रेम वेड्या..जिवाला..!!३!!

                     -ज्ञानेश्वर अशाेक थाेरात.
                                (९०७५८३८३५४)
                              (ता.-मुरबाड,जि.-ठाणे.)