* बंदिशे *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, April 03, 2017, 09:26:52 PM

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कवी-गणेश साळुंखे

अक्सर देखा है मैने खुदको
और बदलती हुइ दुनियाको
हम दिल खोलकर बताते रहे
वो बंदिशे लगाकर सुनते रहे.
कवी - गणेश साळुंखे.
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