* पत्थरदिल हसीना *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, April 03, 2017, 09:28:22 PM

Previous topic - Next topic

कवी-गणेश साळुंखे

पहले दिलमें आना
फिर तोडकर जाना
कोइ तुझसे सिखे
पत्थरदिल हसीना.
कवी - गणेश साळुंखे.
Mob - 7715070938