फुलो का बागिचा

Started by Çhèx Thakare, May 18, 2017, 11:35:43 PM

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Çhèx Thakare

फुलो से खिला हुआ
एक बागिचा हुआ करता था,
दिलो को दिलोसे जोडने वाला
एक बागिचा हुआ करता था,
जहा ईश्क कि चादर लपेटे हुए
फुल अपनी महक से दिल को छुआ करते थे
हवा मौसम मे ताज़गी भरा करती थी,
सुस्त बैठे प्यार को दिलो मे जगाया करती थी
दिलो मे जिंदगी लाया करती थी ..
फुल पत्तीया आसमामन से ईस तरह बरसती थी
जैसे आसमानसे कोई फरीश्ते आए हो,
और ऊनका ताल्लूकात हम से हो ..
हम बैठते थे वहा ऊन कलीयो मे
जहा हूआ करता था एक फुलो का बागिचा ..

© चेतन ठाकरे