अकसर

Started by कदम, June 10, 2017, 09:15:27 AM

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कदम


खयालोंमे तो हम अकसर
किसी को तो याद करते है ।

यादे,हमारी यादोंको अकसर
और यादगार,करती है मचलकर ।

खयालोंमे तो हम अकसर
यादोंकाभी ख़्याल,करते है अकसर ।

यादे ख्यालों मे ही समेटकर

बिखर ज्याती है अकसर ।

रूकता क्यों नही सिलसिला
मनमीत मे चली हलचलका ।

क्यों उलझा हुआ हु अकसर
मैं ईन ख़यालो मे समेटकर ।

मिलिंद कुंभारे