वजुद

Started by sanjweli, July 16, 2017, 08:28:34 PM

Previous topic - Next topic

sanjweli

दि. २ जुलै २०१७

वजुद

मै हूँ कवी
तू है मेरी कल्पना

मेरा वजुद ही
तो तुझसे है बना

अब नींद नहीं
और किसे चैन कहाँ

तुझे धुंडना दिलरुबा मेरी
बस अब यहीं बाकी रहाँ

मेरी मंझिल तू ही
तुझसे ही है मेरा वास्ता

अपनोसे भी ठोकर मिली
अब ना कोई होष रहाँ

शायरी ही जिंदगी मेरी
अब मौत का किसे खौफ कहाँ

आखरी सांस रह गयी बाकी
मौत ने भी की मुझसे वफा

वो बेवफा नही तेरे जैसी
दामन उसका मेरें साथ रहाँ

मैं दुनियामें तेरी अब कहीं नहीं
नाम शायर का तुझसे आखिर जुडा रहाँ.

       ###खत###

©महेंद्र विठ्ठलराव गांगर्डे पाटील