खत के पुर्झे

Started by sanjweli, July 16, 2017, 08:35:45 PM

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sanjweli

दि. २९/६/२०१७

खत के पुर्झे

"याद तेरी देते हैं
वो खत के पुर्झे
दिल धुंडता है
जानेजीगर तुझको
अब अनजान राहोंपर

लौटकर फिर आयी है
वो अनकही देख दास्ताँ
दर्दे दिल जाने जीगर मेरे
अब चौकटपर होगा दिदार तेरा
देख खडा हूँ कबका अब मै तेरे दरपर

जो भी है खुशनसीब है
वो जिसे मिला है
प्यारासा दामन तेरा
मरकर जीना तो कबका सीखा हमने
देख भटकेगी तेरे लिए अब रूह मेरी दरबदर

देख तू एकबार पलट के
वो निकला है अब कबका मेरा जनाझा
तू ए सून ले अब राही अकेला चला मै
आखरी बार तो देख तू मुझको
फिर ना आना कभी माथा टेकने मेरी कब्रपर."

           ##खत##

©महेंद्र विठ्ठलराव गांगर्डे पाटील
९४२२९०९१४३