मैं शायर हूँ!

Started by Shraddha R. Chandangir, August 25, 2017, 12:29:11 PM

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Shraddha R. Chandangir

ग़मों का अपने ख़ज़ाना, किसी को लूटने नहीं देता
मियाँ मैं शायर हूँ! अपने फ़न को छूटने  नहीं देता।
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ख़ामोशी मजबूरी हो, तो क़लम से इश्क़  लाज़मी हैं
यहीं तिकड़म हैं की दम को अपने, घूटने नहीं देता।
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अजीब 'ख़ौफ़' हैं जो रात रात भर, जगाए रख़ता हैं
पर शुक़्र हैं! जो जुड़कर मुझसे, मुझे टूटने नहीं देता।
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मेरे तजुर्बे बताते हैं की ख़ास नज़र हैं मुझपर उसकी
यहीं वजह हैं की ख़ालिक़ से यक़ीन उठने नहीं देता।
~ श्रद्धा
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