* शायरी *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, August 31, 2017, 03:11:14 PM

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कवी-गणेश साळुंखे


*लहुलूहान था हमारा जिसम*
*शायरी तो जैसे हो गई मरहम*
*तभी तो जिंदा है हम*
*वरना मौत तो महबुबा है*
*जब चाहे गले लगा लेंगे हम*
*कवी- गणेश साळुंखे*
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