* चार चांद *

Started by कवी-गणेश साळुंखे, September 04, 2017, 08:56:45 AM

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कवी-गणेश साळुंखे

*चांदको तोडकर तेरे*
*पल्लुमें सजा दूंगा*
*तेरी खुबसुरतीमें में*
*चार चांद बढा दूंगा*
*कवी- गणेश साळुंखे*
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