कलम अकेली …….

Started by SHASHIKANT SHANDILE, September 12, 2017, 02:45:31 PM

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SHASHIKANT SHANDILE

चलों बात करते है
यूँ तो बहोत है बताने को
वक्त शायद कम है
फुरसत कहा सुनाने को

उंगली चल रही है
बटन दब रही कहने को
अल्फाज तैर रहे है
वक्त नही समझने को

कोई तो लिख रहा है
कुछ तो शायद जताने को
पढ़ना मुश्किल है
वक्त न आंख टिकाने को

कलम चल रही है
दूर तक साथ ले जाने को
मगर साथ कौन है
कलम अकेली निभाने को
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शशिकांत शांडिले, नागपुर
भ्र.९९७५९९५४५०
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