जो अपने थे

Started by अमोलभाऊ शिंदे पाटील, October 11, 2017, 04:14:51 AM

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जो अपने थे उन्होंने ही
पराया कर दिया हमें
अक्सर हम जीनका हातों
पर नामं लिखा करतें थें
चंद लंम्होका सपना दिखा गये हमें

हातों की लकीरों को
ईल्जाम देते गये हम
उनकी भी क्या गलती थी
जो अपने ना हो सके उन्हे
आपणा बनाने का सपना देख रहे थे हम

नसिब भी क्या मजाक कर गया हमसे
जो मांगा ओ दे दिया हमें
बस एक गलती कर गया ओ भी
जिनको मांगा उनमें प्यार
मिलाना भूला गलती सें

✍🏻(कवी.अमोलभाऊ शिंदे पाटील).
मो.9637040900.अहमदनगर