बेवजह मैंने किसी की तरफदारी नहीं की।

Started by Shraddha R. Chandangir, October 16, 2017, 10:14:08 AM

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Shraddha R. Chandangir

दुनिया में रहकर भी, दुनियादारी नहीं की
बेवजह मैंने किसी की तरफदारी नहीं की।

फ़िका हैं ज़ायका मेरा! होगा भी क्यों ना?
करके ज़ुबान मीठी, नियत ख़ारी नहीं की।

दफ़ा कर दिया अश्क़ो के ज़रिए से ही सबने
नाजों से बिठाकर के पलके, भारी नहीं की।

रोज़े पर हूँ मुसलसल, मैं उसूलों  के अपने
जहाँ मिलीं नहीं वफ़ा मैंने इफ़्तारी नहीं की।

बच्चों के लिए सिर्फ, तस्वीर न रहे इसलिए
घर के ऊपर मैंने कभी ,दावेदारी नहीं  की।
~ श्रद्धा
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