==* दिवाली आई *==

Started by SHASHIKANT SHANDILE, November 13, 2017, 04:43:44 PM

Previous topic - Next topic

SHASHIKANT SHANDILE

दिया तेल बाती है रंगी रंगोली
खिला आसमां है पटाखों की रेली
बड़े बूढ़े बच्चे सब मिलके मनाये
ख़ुशी का है मौका आई दिवाली

लिखू मै बधाई दिवाली है आई
सजाऊँ घर आँगन मै लाऊँ मिठाई
बड़े शोर से ना जलाऊं पटाखे
दिया ही बहोत है मन में गर आई

आंगन में गोवर्धन है श्रद्धा ये प्यारी
धनतेरस से लेकर गजब तयारी
भाई दूज की पूजा अनोखी है लागे
अंत मे जो आती पंचमी वो न्यारी

है त्योहार सबका न धर्म न जाती
सभी के घरों में रोशनी जगमगाती
चलो आओ मिलकर मनाये दिवाली
सौगात कितनी दिवाली ये लाती
---------------------------//**--
शशिकांत शांडिले, नागपुर
भ्र.९९७५९९५४५०
Its Just My Word's

शब्द माझे!