एक खिलवाड

Started by अमोलभाऊ शिंदे पाटील, December 05, 2017, 10:03:59 AM

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हर एक पन्नो पे नाम लिखा करते थें
हर एक सांसो पे नाम जपा करते थें

न जाने कोन थी ओ उसें
हर सपनों देखा करते थें

याद आना तो अलग बात थी
ओ तो खिलोना समजकर खेला करते थें

उनसे नहीं कोई शिकायत हमें बस
दिल की कमजोरी पर हम हंसा करते थें

नसिब में लिखा भगवान नें जो अपना
नहीं उसें हीं कवितांओ में लिखा करते थे

ओ एक खिलवाड था आसूंओ  का
हम रोये तो ओ मजाक किया करते थें

✍🏻(कवी.अमोलभाऊ शिंदे पाटील).
मो.९६३७०४०९००.अहमदनगर