==* मेरी आरजू *==

Started by SHASHIKANT SHANDILE, December 15, 2017, 04:43:42 PM

Previous topic - Next topic

SHASHIKANT SHANDILE

स्वच्छंद फिजाओं में खिलखिलाती हंसी हो
मानलो जिंदगी चाँद तारों में जा बसी हो

दरबदर भटकती कहानियाँ अब कहा रही
हो नया सवेरा, नई उड़ान न कोई बेबसी हो

एक पहल हो शुरू नये उजालों की ओर
वादियाँ ख़ुशनुमा जमीं पर हरियाली हो

ना हो कोई जातिभेद नाही कोई राजनीति
अपनेपन का जहां एक प्यारा सा समां हो

न ख़याल हो बुरे न परेशानी की लकीरें
अपनेपन की जमीं प्यार का आसमां हो
-----------------//**--
शशिकांत शांडिले, नागपुर
भ्र.९९७५९९५४५०
Its Just My Word's

शब्द माझे!