री री री री

Started by sachinikam, January 12, 2018, 04:29:13 PM

Previous topic - Next topic

sachinikam


री री री  री             (२६/०७/२०१५)
---------------------------------------
बिनपगारी फुलअधिकारी झाले चिकार
रोजगारी बेकारी झाली भिकार
सत्ताधारी कारभारी झाले चुकार
दादागिरी भाईगिरी झाली टुकार
लाचखोरी भ्रष्टाचारी भरला बाजार
शेतकरी कष्टकरी झाले बेजार
रहदारी घुसखोरी देतेय मुकामार
दुनियादारी इमानदारी पेटली वखार
हरामखोरी चोराचोरी नाना विकार
गुलामगिरी चेंगराचेंगरी माजला हाहाकार.
--------------------------------------
कवी: सचिन निकम. पुणे.
कवितासंग्रह: मुरादमन
MK
--------------------------------------